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सविता राठी
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सामूहिक निर्णय की प्रणेता

राजस्थान के चुरू जिले का गोपालपुरा गांव। कुछ सालों पहले तक इस गांव की पहचान झारखंड के गढ़वा
जिले के पिछड़े गावों के रूप में होती थी। बदहाली इस गांव की पहचान हुआ करती थी। लेकिन, 2005 में
हुए पंचायत चुनाव में लोगों ने सविता राठी को अपना सरपंच चुन अपनी हथेली से बदहाली की लकीरें
हमेशा के लिए मिटा दीं। सविता सिर्फ एक महिला सरपंच होने के ही नाते चर्चा में नहीं आयीं, बल्कि
वकालत की पढ़ाई करने के बाद गांव के विकास का जोखिम मोल लेने का जज्बा उन्हें लोकप्रिय बना
गया। उन्होंने गोपालपुरा गांव में सरपंच बनते ही एक नयी परंपरा की शुरुआत कर दी। ग्राम सभा की हर
महीने कम से कम एक बैठक उन्होंने अनिवार्य कर दिया और फैसला लिया कि जो गांव वाले बैठक में
उपस्थित रहेंगे, वे ही अपने गांव के विकास का खाका तैयार करेंगे। उनके बताये रास्ते पर चलकर गांव
वालों ने आज गोपालपुरा की तस्वीर ही बदल डाली है। गांव में जल संचय का अभियान इस कदर चला
कि आज गर्मी में भी तालाब में पानी की कमी नहीं होती। गांव के लोगों ने सविता के निर्देशन में वर्ष
2025 तक का प्लान बना कर रख दिया है। उसी योजना के अनुसार गांव का कायापलट हो रहा है।
सविता की उपलब्धियों को देखते हुए राजस्थान समेत कई राज्यों के पंचायत अब उसी मॉडल पर काम
कर रहे हैं, जो राठी ने तैयार किया है। 2010 में हुए चुनाव में गोपालपुरा ने दूसरा सरपंच चुना, लेकिन
सविता के काम के तरीके को ही आगे बढ़ाने का फैसला किया। 13 दिसंबर 2010 को सविता के पति डॉ
प्रकाश की आकस्मिक मृत्यु हो गयी। इतनी बड़ी पीड़ा को भी सविता ने जज्ब करते हुए अपने पति के
सुजानगढ़ स्थित ग्रामीण अस्पताल को चलाने का बीड़ा उठाया है।
-नदीम अख्तर

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